भक्त महाप्रभुजी की लीला को अनुभव करेंगे

“लीला प्रकाशिब, लीलामयन्कर सत्य जे एकाम्र बन, लीला करूथिबे अनंत माधव सर्वे आनंद होइण।”
 
अर्थात –


प्रभुजी अनंत माधव नाम को धारण करके एकाम्र बन भुवनेश्वर में रहकर धर्म संस्थापना के कार्य को आगे बढ़ाएंगे।

“संसार सहमय अति मायामय सहमय कुपूजा, करह कर्मवामो हेले संज्ञाहीन हेबु नरहिब, थलकुल भारण वेहलकु बिहन बाँटिबी चिन्ही, नपारिबे केहिबी लख्य पंचासी ग्रंथ बुझाईबी संभलरे उदय होईबी।”


अर्थात –
यह संसार मायामय है। भक्तों को माया के कारण यदि मति भ्रम हुआ तो वह अंत समय में भी भगवान की प्राप्ति के स्थान पर मृत्यु के चक्रव्यूह में पड़ जाएंगे। इसलिए विश्व के सभी भक्तों को समय की गंभीरता को समझ कर अपने एक-एक पल को भगवान की भक्ति में लगाना चाहिये। जब ऐसा समय चल रहा होगा तब भक्तों के पास अचंभे की तरह मालिका की वाणी किसी भी तरह से पहुंचेगी और उनके मन में मालिका सुन कर आवेग उत्पन्न होगा। जो इस मालिका पर विश्वास करेंगे वो भगवान की शरण में पहुंचेंगे और महाप्रभुजी की लीला को अनुभव करेंगे और देख पाएंगे।