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भविष्य मालिका

  • एक ब्राह्मण का शासन विश्व में कई परिवर्तन लाएगा

    March 25th, 2024

    तेर दिन पक्ष होईंबे जेबें,
    कलंकीर लीला लागिब तेबे।
    क्षेत्ररे होईब ब्राह्मण राजा,
    फ़ेरिब कीछी ताहार तरीजा।
    कीछी दिन भोग क़रीब मही,
    तेरदिन सेहि छत्र उड़ाई।।

    क्षेत्ररे होइले जेबें ब्राह्मण जे राजा,
    तांक समयरे किछी होइला तरिजा।
    तेरिदन छत्र सेिह उड़ेइण देले,
    तापरे पांच बरष मही भोग कले।
    से अटन्ती अटल बिहार बाजपेयी,
    दिल्ली राज सिंहासने बसिलेक तिहं।
    प्रथमे तेरिदन प्रधान मंत्री हेले,
    तापरे पांचबरष शासन करिले।
    अच्युत बचन अटे पथरर गार,
    आन करिबाकु नाहि शकित काहार।।

    महापुरूष अच्युतानंद दास ने अपने मालिका ग्रंथ ‘कलिकल्प गीता’ और ‘अच्युत ठार’ में आज से 600 साल पहले ही आजाद भारत के एक महत्वपूर्ण राजनेता के बारे में लिख दिया था। वे लिखते है कि भारत में जब एक ब्राह्मण का शासन आएगा तब विश्व में कई परिवर्तन दिखने लगेंग । सर्वप्रथम वे 13 दिनों के लिए शासन करेंगे और इस अल्प अवधि में ही वे बहुत नाम कमायेंगे। तदनंतर, वे पाँच सालों के लिए भी सत्तासीन होंगे। महापुरुष ने लिखा कि दिल्ली से राज करने वाले इस व्यक्ति का नाम “अटल बिहारी वाजपेयी” होगा। वे आगे कहते है कि मेरी यह वाणी पत्थर की लकीर है जो अवश्यंभावी है।

    हम सभी भलीभाँति जानते है कि ब्राह्मण जाति से आने वाली स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सर्वप्रतम् 16 मई 1999 से 2004 तक पूरे पाँच वर्ष वे देश के प्रधान मंत्री रहे।

    इस तरह सदियों पूर्व लिखी महापुरुष की वाणी पूर्णतः सत्य साबित हुई।

  • भक्त महाप्रभुजी की लीला को अनुभव करेंगे

    January 11th, 2024

    “लीला प्रकाशिब, लीलामयन्कर सत्य जे एकाम्र बन, लीला करूथिबे अनंत माधव सर्वे आनंद होइण।”
     
    अर्थात –


    प्रभुजी अनंत माधव नाम को धारण करके एकाम्र बन भुवनेश्वर में रहकर धर्म संस्थापना के कार्य को आगे बढ़ाएंगे।

    “संसार सहमय अति मायामय सहमय कुपूजा, करह कर्मवामो हेले संज्ञाहीन हेबु नरहिब, थलकुल भारण वेहलकु बिहन बाँटिबी चिन्ही, नपारिबे केहिबी लख्य पंचासी ग्रंथ बुझाईबी संभलरे उदय होईबी।”


    अर्थात –
    यह संसार मायामय है। भक्तों को माया के कारण यदि मति भ्रम हुआ तो वह अंत समय में भी भगवान की प्राप्ति के स्थान पर मृत्यु के चक्रव्यूह में पड़ जाएंगे। इसलिए विश्व के सभी भक्तों को समय की गंभीरता को समझ कर अपने एक-एक पल को भगवान की भक्ति में लगाना चाहिये। जब ऐसा समय चल रहा होगा तब भक्तों के पास अचंभे की तरह मालिका की वाणी किसी भी तरह से पहुंचेगी और उनके मन में मालिका सुन कर आवेग उत्पन्न होगा। जो इस मालिका पर विश्वास करेंगे वो भगवान की शरण में पहुंचेंगे और महाप्रभुजी की लीला को अनुभव करेंगे और देख पाएंगे।

  • राम मंदिर का प्रमाण

    January 10th, 2024

    24 अंक रे अयोध्या नगरे बिहारिबे रघुनाथ,
    कलि शेष हेब सत्य प्रकाशिब अनंत युग जुग भोगिब।

    अर्थात् :


    24 अंक में अयोध्या नगर में रघुनाथ बिराजेंगे अर्थात् विराजमान होंगे और कलियुग खतम होता रहे अनंत युग आता रहेगा और सभी तरफ़ सत्य का प्रकाश होगा। यहाँ सत्य के प्रकाश का अर्थ है कि जो लोग आज भी कलियुग की आयु को 432000 को मान कर जी रहे है वे कलियुग के समाप्त होने के सत्य को नही जानते और ये उन्ही लोगों के लिए एक कलियुग के अंत का संकेत होगा और प्रभु धारा अवतरण कर चुके है इसका प्रमाण होगा।

  • तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत कैसे और कहा होगी

    January 8th, 2024


    “दरिया भीतरे अणु बोमा पडिब, बाकी अध ओळी युध्द आरम्भ हेब । चीनी भारत पुणि युद्ध होइब, अकाले अनेक प्राण विनाश जिब । सार पृथ्वी रे पुनि गॉड लागिब, शून्य रु पूणी बम बरसा हेब ।“

    अर्थात,


    समुद्र में परमाणु बम गिरेगा और इसी के साथ महाभारत का आधा बेला शेष युद्ध आरम्भ होगा । तृतीय विश्वयुद्ध जिसे कलि-महाभारत भी कहा गया है वो चीन और भारत के बिच के युद्ध से ही शुरू होगा और इसमें कई लोग अकाल मृत्यु प्राप्त करेंगे । चीन भारत के युद्ध के साथ ही पुरे विश्व में युद्ध छिड़ जाएगा और समग्र विश्व में आसमान से भीषण बमबारी होने लगेगी ।

  • कौन होंगे अंतिम प्रधान मंत्री

    January 7th, 2024
  • कहां करेंगे प्रभु कल्कि लीला

    January 6th, 2024

    “जाजनग्र ग्राम बिरजा स्थान
    खेलिबे प्रभु देब भगबान
    कुशस्थली जे द्वारिका भुबन
    अमरावती जाजनग्र नाम”

    अनुवाद:-

    जाजनग्र ग्राम, माँ बिरजा जहाँ बिराजमान है वही स्थान पर देवों के देव महाविष्णु भगवान लीला करेंगे कुशस्थली द्वारिका भुवन अमरावती जाजनग्र का ही नाम है ।

    अर्थ:-
    जाजपुर ग्राम, जो की सम्बल ग्राम के नाम से सम्बोधित अनेकों पदों में किया गया है । बिरजा स्थान , जहाँ माता बिरजा देवी पूजित है और बिराजमान है । उसी स्थान पर भगवान कल्कि लीला करेंगे । देव देव महादेव, महाविष्णु वही जगह पर अपना लीला प्रकट करेंगे।

    द्वारिका भुवन को कुशस्थली द्वारिका बोला जाता है। अमरावती जिस जगह को बोलते हैं , जहाँ मृत्यु लोक नहीं हैं, जहाँ देवताओं का निवास है , जहाँ स्वर्ग है , जहाँ अर्काशिला है , जहाँ अष्टगिरी है, जहाँ हटेश्वर हैं , जहाँ पाताल वैकुण्ठ है , वही स्थान को अमरावती के नाम से, अमर लोगों के निवास स्थान के हिसाब से शिशु अनंत ने वर्णन किया।

  • वैज्ञानिक यंत्र अचल हो जाएँगे

    December 27th, 2023

    बैज्ञानिक यन्त्र चालिब नाहिँ  राजनीति क्षेत्र हेब अस्थिर भाइ धर्म संस्थापन पाप नासन खेदा चेताबनी भबिष्य़ याण 

    २३ अङ्क रु ए सबु घटिब भाइ २९ अङ्क याइँ शेष ये देखुब

    अर्थात,

    वैज्ञानिक यंत्र चल नही पाएंगे और राजनीति अस्थिर हो उठेगी । यह जब देखो तो समझ लेना धर्म संस्थापना और पाप के नाश की चेतावनी है ये । ये सब 23 अंक से होना शुरू हो जाएगा और 29 अंक में लीला समाप्त हो जाएगी ।  

  • प्रभु का जन्म स्थान और माँ बिरजा का क्षेत्र

    December 26th, 2023

    “जनम होइछन्ति प्रभु सत्यबतीपुरे जगी बसिछन्ति सिद्ध पीठ र उपरे जाजपुर हे ।जगीछन्ति अक्रूर सेठारे हे ।”

    अनुवाद:-

    भगवान ने सत्यबतीपुर में जन्म लिया है वह पवित्र स्थान जाजपुर है । उस जगह पर अक्रूर जी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ।

    अर्थ:

    ‘सत्यवती’ का अर्थ है जोगमाया या माँ बिरजा क्षेत्र जहां भगवान कल्कि का जन्म हुआ है । महापुरुष अच्युतानंद यहाँ लिखे हैं की प्रभु जनम हुएं हैं ‘सत्यबतीपुरे’ यानि वह जगह जहाँ माँ बिरजा देवी बिद्यमान हैं और सिद्ध पीठ के रूप में उस जगह को सम्बोधित किया है । उसी जगह पर प्रभु जनम हुएं हैं । अक्रूर भगवान के अन्यतम भक्तों में से एक थे और उनका जन्म भी जाजपुर में हुआ होगा । द्वापर युग में, अक्रूर ,प्रभु के सारथी बनकर उन्हें मथुरा लाये थे।

  • प्रभु के जन्म का प्रमाण

    December 25th, 2023


    “संबल नगरे विष्णु जशा घरे प्रभु जहां जनमीबे
    सुधर्मा सभाटी श्री जाजनगरे प्रभु आप विस्तारीबे”

    अनुवाद:-

    संबल नगर में और एक पवित्र ब्राह्मण के घर जो भगवान विष्णु की महिमा गाते होंगे |
    प्रभु वहीं जन्म ग्रहण करेंगे श्री जाजनग्र में सुधर्मा सभा का स्थापन करके | प्रभु स्वयं उसे विस्तार करेंगे

    अर्थ:-

    महाप्रभु अच्युतानंद ने अपने तेरह जन्म सरण ग्रन्थ में यह प्रमाण किया की बिरजा क्षेत्र ही संभल ग्राम है। चूंकि भगवान कल्कि, संबल नगर और भगवान विष्णु की स्तुति करने वाले एक पवित्र ब्राह्मण के घर में जन्म ग्रहण करेंगे, प्रभु सुधर्मा संभा नाम से जाजनग्र अथवा जाजपुर से एक संगठन शुरू करेंगे। दुनिया में कई संगठन हैं, लेकिन उनमें से कोई भी संघठन जिसका नाम “सुधर्मा महा महा संघ” हो और जो, बिरजा क्षेत्र (जाजपुर) से शुरू किया गया हो ऐसा संघठन कोई भी नहीं है ।

    तो इन पदों में हमें यह प्रमाण मिलता है कि जब भगवान कल्कि बिरजा क्षेत्र में जन्म लेंगे तो “सुधर्मा महा महा संघ” नाम से संगठन शुरू करेंगे । संपूर्ण विश्व में “सुधर्मा महा महा संघ” मालिका का प्रचार करेगा , धर्म सभा करेगा ,धर्म की स्थापना के लिए सभी भक्तों का एकत्रीकरण करेगा और प्रभु के नेतृत्व में पूरे विश्व में सनातन धर्म की स्थापना भी की जाएगी।

  • 24 अंक में चीनी सेना आयेगी

    December 24th, 2023


    “चौबीस अंको रो भीतोरे मंगल वारो से दिनों रे चैत्र मास रो भीतोरे । से दिनों चीना शैन्य टी आसीबे उडीसा मध्य रे पोसीबे ।। “

    अर्थात –
    चौबीस अंक के अंदर मंगलवार के दिन चैत्र महीने के बीच मे चीन की सेना आऐगी और उसी दिन उडीसा के बीच मे घुसेगी, अब कहा जाता है मालिका की बात कभी असत्य नहीं हुई बस कारण पहले पता नही चल पाता आखिर ऐसा होगा कैसे पर जब हो जाता है तो सभी को पता चलता है अरे हां ये तो हो गया फलाना जगह मे वैशाख महीने मे बाढ आ गई क्योंकि समुद्री तूफान आया था वर्ना लगता था भयंकर गर्मी के दिनों मे भला बाढ कैसे आऐगी पहले तो ऐसा नही होता था, लिखा था लड़कियां लड़को की तरह कपड़े पहनेगी, जब पहन रही हैं तो पता चल रहा है क्या पहन रही हैं वर्ना लोग तो समझ ही नही पाऐ थे ।

    लिखा था सभी फिरंगी वेष धारण कर लेंगे अब लोग समझ ही नही पाए कि आखिर लोग फिरंगी वेष क्यों धारण कर लेंगे फिरंगियों को भगाने के लिए तो आजादी का आंदोलन किया जा रहा है फिर लोग अंग्रेजी वेषभूषा मे क्यो रहेंगे, ऐसे ही घटना घट जाने पर कारण पता चलता है अब इस मालिका के दोहे मे चौबीस अंक बताया गया है और सभी प्रकार के चौबीस अंक बीत चुके हैं सिर्फ दो ही चौबीस अंक बचे हैं एक कलयुग की आयु 5124 वर्ष के हिसाब से चौबीस अंक और 2024 के हिसाब से चौबीस अंक । 2024 हो या 2023 हो क्योंकि 5124 वर्ष 2023 को हो रहा है अब 2023 हो या 2024 हो इन दो सालों के अंदर ही ये घटना घटेगी अब कैसे किस प्रकार से घटेगी ये तो वक्त ही बता सकता है ।

  • मालिका संक्षिप्त सार

    December 24th, 2023
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    मालिका संक्षिप्त सार
  • 64 प्रकार की महामारी

    December 23rd, 2023
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    64 प्रकार की महामारी
  • कलियुग के मध्य में सतयुग का आगमन

    December 23rd, 2023


    “कली थाउ-थाउ सत्य केहुदिन हेबो केहीण जाणबीर,
    एणूकरी मोरो अंतना पाईबे नाथीबारु अधिकार।”

    अर्थात –
    कलियुग के अंत समय में कलियुग के मध्य धीरे-धीरे सत्ययुग का आगमन होगा। परंतु सभी इस दिव्य परिवर्तन को समझ नही पाएंगे। लोगों के द्वारा युग अंत के विषय में चर्चा करते-करते समय समाप्त हो जाएगा। मैं आ चुका हूँ, और मेरे आगमन (धरावतरण) का व मेरे द्वारा किस प्रकार से पृथ्वी पर धर्मसंस्थापना का कार्य सम्पन्न होगा, एवं मेरे भक्तों का उद्धार किस प्रकार से होगा,उन लोगों को इन गुप्त बातों का पता भी नही चल पाएगा। सभी अपने ज्ञान और तर्कों में उलझे रहेंगे मेरे अंत को कोई जान नही पायेगा, ज्यादातर लोग जो प्राचुर्य वैभव के लिए मनुष्य समाज में धर्म का व्यवसाय करते हैं। जो धर्म को ढाल बनाकर अपने व अपने परीवार के आनंद और उल्ल्हास के लिए धन एकत्रित करते हैं। ऐसे अधर्मी मनुष्यों को धर्म कार्य, धर्मसंस्थापना और मेरे धरावतरण के विषय में किसी भी प्रकार से जानकारी पाने का कोई अधिकार नही है।

    इसपर पक्षीराज गरुड़ श्रीभगवान से इस प्रकार से प्रश्न करते हैं…

    हे चराचर जगत के नाथ, दिनो के बंधु दीनानाथ प्रभो इस कलियुग का अंत कब होगा, एवं मृत्युलोक (पृथ्वी) पर आपका धरावतरण कब होगा और जब आप का धरावतरण होगा तब भक्तों का उद्धार कैसे होगा कृपाकर मुझे यह बतलाइये ?

    इस पर स्वयं चक्रधर कमल नयन भगवान! महाविष्णु इस प्रकार से पक्षीराज गरुड़ के सभी प्रश्नों के उत्तर देते हैं…

    देखो गरुड़, कलियुग के अंतिम समय में पांच हजार वर्ष बीत जाने पर जब चंद्रमा से लगे तारे का उदय होगा अर्थात (वर्ष 2005 में मनुष्यों ने चंद्रमा के समीप एक तारे का लगभग दो महीनों तक अपने नेत्रों से दर्शन किया था) एवं श्रीजगन्नाथ खेत्र पूरी के चलन्ति प्रतिमा जिन्हें ठाकुर, “राजा दिव्य सिंह देब” के नाम से जाना जाता है उनके 47 अंक पूरे होंगे तब मैं भक्तों के उद्धार के लिए धरावतरण करूंगा, इस विषय में स्पष्ट सब्दों में मालिक में भी वर्णित है।

    पक्षीराज गरुड़ एक बार पुनः श्रीभगवान से इस प्रकार से कहते हैं, कि हे जगत के तारणहार! प्रभु भक्तों को आपके अवतरण की जानकारी कैसे प्राप्त होगी कृपा कर मार्गदर्शन करें ?

    तब एक बार पुनः दीनानाथ अपने गंभीर स्वर में गरुड़ जी से इस प्रकार से कहते हैं…

    हे गरुड़, इस गुढ़ रहस्य को कलियुग की भीषण ज्वाला में जल रहे सभी मनुष्य समझ नही पाएंगे, एवं सुख, संभोग और उपार्जन में जो लोग लगे होंगे वो मेरा अंत नही पाएंगे, ऐसे लोग इन गुढ़ बातों को जानने के अधिकारी नही होंगे। ऐसे लोग मेरे बैकुंठ या गोलोक के निवासी नही होंगे। इसलिए पूर्व से जो बैकुंठ या गोलोक के निवासी होंगे, जो देवता, यक्ष या गंधर्वों में से होंगे, केवल उन्ही भक्तों को मालिका के प्रचार के माध्यम से मेरे धरावतरण की सूचना प्राप्त होगी। और वही भक्तजन धर्मसंस्थापना के कार्य में मेरा सहयोग देंगे।

    इस प्रकार से भगवान के द्वारा बताई व मालिका में वर्णित सभी निशानियां चंद्रमा से लगे तारे के तौर पर, या राजा दिव्य सिंह देब के 47 अंकों के तौर पर, वर्ष 2005 में पूर्ण हो चुकी है एवं वर्तमान में श्रीभगवान का धरावतरण भी हो चुका है।

    पंच सखाओं में से एक महापुरुष शिशु अनन्त दास जी के द्वारा लिखी मालिका में प्रभु के धरावतरण की एक और निशानी इस प्रकार से वर्णित है।

    “कर जोड़ी बोले बारंग भगत शेखर मुकुट मणि,
    बेलकला जाणी कलपतरुरे गरल फलिबे पुनि,
    एण पराएक होइबो बारंग रस मधुरो लागिबे,
    आदोरे भकईबे कलीजुगे नरे भकी भस्म होइजिबे।”

    अर्थात –
    कलियुग अंत और प्रभु के धरावतरण के समय में एक संकेत इस प्रकार से पूर्ण होगा, की नीम के पेड़ से दूध के जैसा तरल प्रदार्थ बहेगा, उसका स्वाद मधु के समान मीठा होगा, और लोग चमत्कार समझ कर उसका पान करेंगे, एवं उस पेड़ की पूजा भी करेंगे, ऐसे लोगों को मृत्यु ग्रास करेगी, यह संकेत भी कई स्थानों पर देखी गई है।

    इन संकेतों के बाद कलियुग के अंत में प्रभु के धरावतरण की बात मालिका और अन्य शास्त्रों में कही गई है। वर्तमान में ये सभी संकेत पूर्ण भी हो चुके हैं, एवं भगवान कल्कि का धरावतरण भी हो चुका है व धर्मसंस्थापना और विनाशलीला के कार्य भी अपने रास्ते पर चल रहे हैं, वर्तमान समय में इसके असर वैश्विक स्तर पर दिखने भी लगे हैं।

  • सात बार मरा शब्द की गूंज

    December 22nd, 2023

    महापुरुष चक्रामड़ाड़ मालिका में इस प्रकार से पुनः लिखते हैं…

    “मला-मला डाक सात थर हेब, थोके जिबे रेणु होई ज्ञानीजन माने, 
    घबरा होईबे अज्ञानी थिबे ताकाहिं लीला उदय हेबो, 
    भक्तंक लीला भारी होई लीला उदय हेबो।”

    अर्थात – 

    मरा-मरा शब्द सुन-सुनकर लोग थक जाएंगे ज्ञानी लोग घबराएंगे, सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष एक बार अर्थात सात वर्षों में कुल सात बार मरा-मरा शब्द गूंजेगा बहुत से लोगों की मृत्यु होगी,जो झूठे साधु संत है जो धर्म का व्यवसाय करते हैं वो लोग भयभीत हो जाएंगे, उन्हें समझ नही आएगा यह क्या हो रहा है। 

    केवल सच्चे भक्तों को इसका ज्ञात होगा कि विश्व में जो भी हो रहा है वो केवल प्रभु की लीला है, धर्म संस्थापना का हिस्सा है।

  • मालिका मिथ्या नहीं है

    December 21st, 2023

    महापुरुष अच्युतानंद जी फिर से इस प्रकार से लिखते हैं…

    “श्रीअच्युत वाणी पत्थरर गार पर्वते फूटिब कईं, 
    पूर्ब सूर्जवा पश्चिम कुजिबे मवचन सत्य एहिं।”

    अर्थात – 

    महापुरुष पूर्ण दृढ़ता के साथ प्रतिपादन कर यह लिख रहे हैं की मालिका के हर एक शब्द भगवान विष्णु निराकार की वाणी है, यह अटल सत्य है। पूर्व से उदय होने वाला सूर्य पश्चिम से उदय हो सकता है, पर मालिका में लिखे एक भी शब्द मिथ्या नही होंगे

  • मनुष्य लोग माया में डूबे रहेंगे

    December 20th, 2023

    महापुरुष एक बार फिर मालिका में इस प्रकार से लिखते हैं…

    “माया अन्धकारे गुड़ी रहीथीबे अखिथाई सीजेकणा।”

    अर्थात – 

    मनुष्य लोग माया में डूबे रहेंगे, उन्हें प्रत्येक वर्ष विभिन्न तरीकों से चेतावनी मिलती रहेगी, पर मनुष्य समाज के गर्व, अहंकार, छमता, अर्थ, सुख, शांति व दम्भ के चक्रव्यूह में फंसे होने के कारण यह भगवदवाणी उनके कानों तक नही पहुंचेगी।

    महापुरुष इस तरह से दोबारा कहते हैं…

    देखने वाले तो देख सकते हैं, परंतु जो नेत्रों के रहते भी अंधे हैं वो देख नही पाएंगे। जो अर्थ, गौरव और अपनी क्षमता के वजह से अंधे हैं उनके नेत्र होते हुए भी वो इन बदलावों को देखकर भी समझ नही पाएंगे।

  • घोर कली लीला

    December 19th, 2023

    “एहि घोर कली लीला भली-भली प्राणी हेबे पथ बँणा।”

    अर्थात – 

    कई चरणों में विभिन्न तरीके से माहाप्रभु की लीला होगी परंतु साधारण मनुष्य इसे अपने ज्ञान के आधार पर समझ नही पाएंगे। 

    कलियुग का अंत हो चुका है, यह एक सच्चाई है, अगर नही, तो आज सम्पूर्ण विश्व की स्थिति इस तरह से बदतर क्यों हो रही है? जब धर्मसंस्थापना होता है, जब युग के अंत का समय होता है, उसी दौरान मनुष्य समाज में बोहोत से परिवर्तन होते हैं महामारी, रोग, हिंसा, हादसा, युद्ध, आपदा यह सब अचानक से अपना पैर पसारने लगते हैं। इस तरह की घटनाएं समस्त संसार को अधिग्रहण करने लगते हैं। भय व अवसाद का वातावरण बनने लगता है प्रायः हर तरफ अशान्ति होने लगती है। 

    त्रेता में रावण की मृत्यु से पूर्व, और द्वापर में क्रूर कंस की मृत्यु से पूर्व मनुष्य समाज की जो परिस्थिति थी इसकी पुष्टि वाल्मीकि रामायण में वाल्मीकि जी के द्वारा भी की गई है, ठीक वैसी ही परिस्थिति मनुष्य समाज की आज वर्तमान समय में है। 

    रावण और कंस की मृत्यु के पश्चात वातावरण स्वयं स्थिर होने लगा मंद मलय पवन बहने लगी सूर्य की रौशनी शीतल होने लगी, समुद्र का जल मीठा (पीने लायक) हो गया, रोग महामारी समाप्त हो गई, सब ने यौवनावस्था को प्राप्त किया, सुख शांति पुनः अपना पैर पसारने लगी। इसलिए आज विश्व में जो भी अस्थिरता है वह केवल कल्कि लीला आर्थात विनाश लीला का हिस्सा है, यह समय बीतने के साथ और भी उग्र होता जाएगा व 2029 से 2030 तक यह धर्मसंस्थापना का कार्य यूँही चलता रहेगा, और मनुष्य समाज मे जन्म होने के कारण हमें भी यह देखना पड़ेगा।

  • सचेतन संदेश

    December 18th, 2023

    हरे कृष्णा। मेरे इन शब्दों पर विचार करिएगा।

    भागवत में लिखा है कलियुग के अंत समय में मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा दुःसह बन जाएगा, लोग प्रायः ग्रहस्थी का भार ढोने वाले और विषयी हो जाएँगे। और कलियुग में पाप की सभी हदें पार हो जाएगी। तब कल्कि भगवान धारा अवतरण करेंगे।

    आज समाज में ऐसा कौनसा पाप होना बाक़ी रह गया है जिसकी हम प्रतीक्षा कर रहे है ? और कह रहे है कि कलियुग का तो अभी बाल्य काल है। आप सभी अपनी आँखें खोलें। आज जिस हम विज्ञान को अपने चारों तरफ़ देख रहे है ये तरक्की नहीं विनाश है क्यूँकि आज से 200 साल पहले ये सभी कुछ भी नहीं था। हम जिस समय में जी रहे है ये ही घोर कली-काल है।

    भागवत महापुराण के प्रथम स्कंद में जब नारद मुनि भागवत पठान के लिए धरती पर उत्तम स्थान ढूँढ रहे थे तो उन्होंने कलियुग के अंत समय का व्याख्यान किया है जो भी आज के समय को ही बताता है। सनातनी लोगों अपनी आँखें खोलो और अपने चारों तरफ़ देखो क्या आज राशन बाज़ार में नहीं बिक रहा? क्या हर दूसरा मनुष्य मांस और मदिरा का भक्षण नहीं कर रहा? क्या मंदिर और मठों में धर्म के नाम पर व्यापार नहीं हो रहा? ये सवाल मेरे नहीं स्वयं नारद मुनि द्वारा कहे गए और भागवत महापुराण में लिखा है।

    एक और बात पर विचार करिएगा कि जब भगवान राम आज से 10000 वर्ष पहले आए थे और भगवान श्री कृष्ण आज से 5000 वर्ष पहले आए थे तो कलियुग 432000 वर्ष का कैसे हो गया? द्वापर और त्रेता युग ने तो अपनी पूरी आयु का भोग ही नहीं किया तो सिर्फ़ कलियुग ही क्यू 432000 वर्षों का है? कलियुग में धर्म के नाम पर समाज में कई भ्रांतियाँ फैलाई जाएगी इस बारे में भी भागवत में लिखा है। मलेच्छों के आक्रमण से और अंग्रेज़ी हुकूमतों ने हमारे कई ग्रंथों को तो नष्ट ही कर दिया और अब जो अंत में बचा है क्या वो सम्पूर्ण सत्य है ? ज़रा विचार करिएगा। जब एक मनुष्य 100 वर्ष की आयु ले कर आता है और अपने कर्मों के कारण उसकी समय से पहले ही मृत्यु हो जाती है तो पाप कि अधिकता में युग कि आयु का क्षीण नहीं हो सकती क्या? जब स्वयं प्रभु श्री कृष्ण ने कहा है कि जब भी धर्म का नाश होगा मैं धरती पर अवतार ग्रहण करूँगा तो जब पाप कि अधिकता होगी तो क्या प्रभु युग के अंत होने तक कि प्रतीक्षा करेंगे?

    ये तो धन्य हो उन पंचसखाओं का जिन्होंने भविष्य मालिका जैसे ग्रंथ को लिख भक्तों की चेतना को जागृत किया। धन्य है वे महा पुरुष उनको कोटि कोटि प्रणाम।

    मेरे ऊपर लिखे शब्दों से अगर आपकी चेतना जागृत होती है तो बहुत अच्छा और अगर सब बकवास लगता है तो शायद आपके प्रारब्ध में नहीं।

    जय श्री माधव

    🌹🙏🏻🌹

  • भक्तों को वैष्णव कला (वैष्णव शक्ति अंश)

    December 18th, 2023

    महापुरुष एकबार फिर लिखते हैं…

    “भक्त कलानिधि जेबे कला देबे बांटी कलीरे कलमुस सेठु जिबे परा टूटी।”

    अर्थात – 

    अनन्त कोटि ब्रह्मांड के नाथ महाविष्णु महाकल्कि उसी सभा में अपनी वैष्णव कला (वैष्णव शक्ति अंश) प्रदान करेंगे, उस कला की प्राप्ति के पश्चात भक्तजन कलियुग में बिताए सारे कष्ट और सारी यादों को भूल जायेंगे।

    फिर सत्ययुग की शुरुआत होगी रामराज्य होगा सभी भगवान कल्कि के शासन में परमानंद में समय व्यतीत करेंगे, हर तरफ खुशियाँ होंगी ऐश्वर्य होगा, कहीं दूर-दूर तक दुःख व दरिद्रता नही होगी, बहुत जल्द ऐसे अद्भुत समय की शुरुआत होगी, जो पवित्र भक्त होंगे वो सभी इस दिव्य परिवर्तन को स्वयं देख पाएंगे।

  • दिव्य शरीर की प्राप्ति

    December 17th, 2023

    महापुरुष अच्युतानंद जी मालिका में इस प्रकार से लिखते हैं…

    “तुलसी पतर गोटी-गोटी भासुथिब खीरनदी नामे एक नदी बहिब।”

    अर्थात – 

    जिस छीरसागर का आह्वाहन प्रभुजी के द्वारा किया जाएगा उस पवित्र सागर के जल में माँ तुलसी के पत्र भी तिरते हुए भक्तजन देख पाएंगे, एवं उसी जल में भक्तजन स्नान करेंगे और दिव्य शरीर (किशोरावस्था) को प्राप्त करेंगे।

  • छीरसागर का धरावतरण

    December 16th, 2023

    “ख्यजिबे कष्टथिबा जार घट वृद्ध अंगु जुबाहेबे 
    कहे भीमबोहि तामर अज्ञानी एकाख्यर माने भज।”

    अर्थात – 

    जाजपुर की वो पवित्र भूमि जहाँ आदि माता बिरजा मूर्ति रूप में प्रत्यक्ष विद्यमान है। उस पवित्र स्थान में जब भगवान कल्कि के नेतृत्व में “सुधर्मा सभा” बैठेगा, उस वक्त जगतपति, भक्तवत्सल, दीनबन्धु भगवान! कल्कि के आह्वाहन पर बैकुंठ से चंद समय के लिए छीरसागर का धरावतरण होगा। 

    उस छीर सागर में महादेवियों के नेतृत्व में अर्थात जो पवित्र भक्त होंगे जिन्हें सुधर्मा सभा में भवभयहारी भगवान! मधुसूदन के साथ बैठने का अवसर मिलेगा उन सभी भक्तों को स्नान के लिए भेजा जाएगा। उस पवित्र जल में स्नान करने वाले सभी भक्त कलियुग के प्रभाव से जिनको बृद्धावस्था नें घेर लिया है या जिनमें किसी भी प्रकार की कोई रोगव्याधि है, या जिनमें कोई शारीरिक अक्षमता है वो सभी पवित्र भक्त उस छीरसागर के दिव्य जल में डुबकी लगाकर नवयौवन को प्राप्त करेंगे। एवं वो सभी भक्त अर्थात वो सभी देवी देवता जो मानव शरीर में हैं उन सभी को इस कलियुग के प्रभाव से जिण-छिण शरीर से मुक्ति मिलेगी, और सभी दिव्य शरीर को प्राप्त करेंगे।

  • सियालदह में महायज्ञ

    December 15th, 2023

    महापुरुष अच्युतानंद जी इस प्रकार से लिखते हैं…

    “सेकाले भक्त माने मिलि सियालदह पीठ स्थली।”

    अर्थात – 

    भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की सुरुआत के समय पश्चिम बंगाल राज्य के सियालदह में महायज्ञ होगा। उस महायज्ञ के अनुष्ठान में विश्व के सभी 16 मंडलों के भक्तगण सियालदह में एकत्रित होकर उस महायज्ञ में सम्मिलित होंगे, व यज्ञ अनुष्ठान को पूर्ण करेंगे।

  • जग्गानाथ मंदिर के रत्न सिंहासन तक समुद्र

    December 14th, 2023



    “बाईसी पाबछे मीन खेलथुब सिंघासने वरुणो,
    मक्का मदीनारे घोर जुद्धो हेबो मरिबे बिधर्मीगण।”

    अर्थात –
    भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की सुरुआत होगी तब श्रीजगन्नाथ मंदिर में 22 पाबच्छ अर्थात बाइस सीढ़ियों को चढ़ कर भक्तजन भगवान जगन्नाथजी और उनके रत्न सिंघासन का दर्शन करते हैं, उसी रत्न सिंघासन तक समंदर अपनी सीमा को लांघकर आजायेगा। रत्न सिंघासन पर मछलियां खेलेंगी उस वक्त जगन्नाथजी अपने स्थान पर नही होंगे, जगन्नाथजी के रत्न सिंघासन पर वरुण देवता विराजमान होंगे, आर्थात उसी वक्त सम्पूर्ण जगन्नाथ मंदिर समुद्र के जल में डूब जाएगा। उसी युद्ध की शुरुआत के वक्त विश्व के एक और स्थान मक्का मदीना में भी घोर संग्राम हो रहा होगा। यह सभी घटनायें लगभग एक ही समय घटित होगी।

  • भारत पर आक्रमण

    December 13th, 2023

    जब पाकिस्तान व बाकी मुस्लिम देशों के द्वारा भारत पर प्रथम आक्रमण किया जाएगा तब युद्ध की सुरुआत होगी, उस समय उड़ीसा के श्रीजगन्नाथ क्षेत्र से कई संकेत आएंगे…

    “तुरुकी धाईं आसीब भारतरे हाँड़, 
    काट काइफूलो जाइफूलो, 
    गुली गोला तुंही बरसिबो।”

    अर्थात – 

    विश्वयुद्ध में तुर्की के द्वारा पाकिस्तान को पूर्ण समर्थन प्राप्त होगा। तुर्की और पाकिस्तान के साथ ग्यारह और मुस्लिम देश चीन के साथ मिलकर भारत पर आक्रमण करेंगे। और देखते ही देखते यह युद्ध महायुद्ध में परिवर्तित हो जाएगा। भारत के लिए यह एक कठिन समय साबित होगा परंतु इस कठिन समय में भारत अकेला नही होगा और इस युद्ध में रशिया, जर्मनी, फ्रांस और जापान जैसे शक्तिशाली देश भारत का साथ देंगे। युद्ध में भारत के दुश्मन देशों की सेनाओं को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ेगा जिसकी भरपाई करना उनके लिए संभव नही हो पायेगा। इस प्रकार इस विध्वंसक युद्ध के पश्चात धर्म संस्थापना का कार्य और आगे बढ़ेगा, व दुनिया एक नए युग की और अग्रसर होगी यह सभी बदलाव आनेवाले समय में हम देख पाएंगे।

  • 13 मुस्लिम देशों का संघठन

    December 12th, 2023

    “तेरह टोपिया हेबे भेंट प्रथम गुलटी प्रकट।”‘

    अर्थात – 

    जब पाकिस्तान व अन्य मुस्लिम देशों को मिलाकर विश्व के तेरह मुस्लिम देश एकजुट हो जाएंगे, उस समय से भारत व पाकिस्तान का युद्ध आरंभ हो जायेगा। 

    वर्तमान परिस्थिति की बात की जाए तो मुस्लिम देशों के द्वारा कई मुद्दों पर लगातार भारत को घेरने की शुरुआत स्पष्ट दिखाई पड़ती है। इसके अलावा भारत के खिलाफ कई मुस्लिम देशों की एकजुटता भी देखी जा रही है। भारत को घेरने के लिए तुर्की व पाकिस्तान के द्वारा एक संगठन बनाने की बात भी सुनी जा रही है। भारत के विरुद्ध कई मुस्लिम देशों को साथ लाने को तुर्की और पाकिस्तान गुप्त रूप से कई बैठकें भी कर रहे हैं।

  • कटक होगा जल मग्न

    December 11th, 2023

    “जलबंदी पुणी होइव, बहु गाँ रहिव
    कटक शहर जल रे, पुणी बुढ़िण जिव
    बारम्बार पुणी पवन, अती तिब्र बहिव
    कोठा वाड़ी सबु राम रे,सर्व भुसूड़ी जिव”


    ओड़िशा के कटक शहर पूरी तरह से जल मग्न होने जा रहा है और हवा बहुत तेज चलेगी की बिल्डिंग सब ध्वस्त हो जाएगा ( वर्ष 1999 ओड़िशा में जो तूफान हुआ था उस तूफान का रफ़्तार/वेग 300 किलो मीटर प्रति घंटा था पर वर्ष 2023 में जो होने जा रहा वो उससे कई गुना ज़्यादा भयानक होगा, इतना भयानक होगा की पक्का मकान कुछ पल भर में मलबे में तब्दील हो जाएगा )

    मालिका – युगब्धि गीता

  • सूर्य पश्चिम से उदय होगा

    December 10th, 2023

    भविष्य मालिका की कुछ पंक्तियों के अनुसार आने वाले समय में पृथ्वी की धुरी बदल जायेगी। जो आज पूरब है वह पश्चिम हो जायेगा। सूर्य देव भी पश्चिम से उदय होंगे। ऐसा संभवतः लंजा नक्षत्र के टकराने के कारण या होने वाले महा भूकंप के कारण भी हो सकता है।

    सूर्यता राती रे उदय हेब, पश्चिम दिग रे जान ।
    युग शेष पक्षी ये कथा, देखीबु निश्चय यहु प्रमाण ।।

    सूर्य रात में उदय होगा, पश्चिम दिशा से युग के शेष समय में गरुड़ तुम निश्चित ही यह प्रमाण देखोगे। भविष्य मालिका के अनुसार कलियुग के शेष समय में सूर्य रात को उदय होगा, वह भी पश्चिम दिशा से।

  • शुद्ध मांस और चण्डी प्रकोप

    December 9th, 2023

    संत अच्युतानंद दास भविष्य मालिका में आने वाले समय के बारे में कई प्रमाण और तथ्य लिख के तो गए ही है पर उन पर प्रभु जगन्नाथ की अपार कृपा थी जिस के कारण वे भूत भविष्य और वर्तमान सभी काल में अपनी दिव्य दृष्टि से देख सकते थे। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण तथ्य पंच सखाओं ने शुद्ध मांस के बारे में लिखा है।

    संत अच्युतानंद दास जी कहते है कि मांस मदिरा जैसी तामसिक चीजों का सेवन करना तुरंत छोड़ दें। अगर आप ख़ूब पूजा करते है और अभक्ष्य पदार्थों जैसे मांस मदिरा का सेवन करते है तो सतर्क हो जाइए। इस बारे में उन्होंने लिखा है

    हर चण्डी नर चण्डी दक्षिण चण्डी ज़ाणो ।
    उग्र चण्डी कटक चण्डी अष्ट चण्डी जे प्रमाणो ।।

    एमाने बहुतो दिनो छंति उपोवासो ।
    खाइबे बोली कलि रे शुद्धों नोरो मांसो ।।

    नोरो मांसो देबे बोली तांकू नरायणो ।
    द्वापर युगों रुं साखी रखी छंति प्रमाणो ।।

    अष्ट चण्डी प्रमाण है एक वचन का, कौन से वचन का आगे संत अच्युतानंद जी लिखते है। ये अष्ट चण्डियाँ बहुत दिनो से उपवास में है और इस आशा से द्वापर युग से प्रतीक्षा कर रही है कि कलियुग में इन्हें शुद्ध मानव मांस खाने को मिलेगा। अर्थात् शुद्ध नर मांस अष्ट चण्डियों को देने के लिए स्वयं नारायण (श्री कृष्ण) ने द्वापर युग से इन चण्डियों को धरती पर संहार करने के लिए स्थापित करके रखा है।

    थूके मद भक्ष्य करिण से मुख्य नागांतो पथरे थिबे छटको नाटकों करिण उच्चाटो अकर्म करी क़रीबे सुद्ध सोणित मांसोटे ताहांकर कारणो लोभिबे नाही तुंभे महामाई आसा रखीथिब तेतिकि बेलु क़ुचाहिं।

    जो वैष्णव भक्त धर्म में रहकर नीति धारा का अवलम्बन करेंगे। इसके साथ ही मांस का भक्षण भी करेंगे वो सभी भक्त कलियुग के अंत में तुम्हारे लिए शुद्ध और पवित्र मांस होंगे। वो सतयुग को भी नहीं जाएँगे। उन्ही लोगों को तुम संहार करोगी और इस तरह द्वापर युग की तुम्हारी इच्छा पूर्ण होगी।

    मंत्र जंत्र बुझी नवधा भक्ति है जिसे करुण थिबे माछ माँसों सूखुआ पख़ाल खाई द्वादस चिता काटिबे।

    मालिका की ये सभी पंक्तियाँ वैष्णव धर्म के सभी भक्तों के लिए नहीं है। बल्कि केवल उन भक्तों के लिए है जो वैष्णव धर्म में रहते हुए मंत्र यंत्र, पूजा विधि व नवधा भक्ति में भी रहेंगे, चंदन तिलक लगाएँगे और साथ ही साथ मछली, मांस, मदिरा और अंडे का सेवन करेंगे। हर तरह के अभक्ष्य खाएँगे और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति भी करेंगे।

  • कितने लोग बचेंगे

    December 8th, 2023

    भविष्य मालिका ने आने वाले समय में पूरे विश्व में कितनी जनसंख्या बचेगी और कितने लोग आने वाले समय में नए युग को जाएँगे इसके बारे में भी संत अच्युतानंद दास जी ने लिखा है।

    अर्ध रु अर्ध मरिबे भरत बरसारे, सबु राज्य सुन्य हेब युद्ध गणारे ।

    अर्थात् आधा का आधा मरेंगे भारत में। युद्ध के चलते राज्य के राज्य ख़ाली हो जाएँगे अर्थात् शून्य हो जाएँगे।

    अगर आज के समय में इस पर विचार करें तो भारत की जनसंख्या 1.4 अरब है, फिर 1.4 बिलियन का आधा 0.7 बिलियन जो कि 70 करोड़ होता है और फिर से आधा 0.35 बिलियन जो कि 35 करोड़ होता है, यह महान संत अच्युतानंद दास ने अपने ग्रंथ भविष्य मालिका में लिखा है। अतः शेष 35 करोड़ की जनसंख्या के जीवित रहने की आशा है, तथापि भारत में केवल 33 करोड़ जनसंख्या ही जीवित रहेंगे , जो सतयुग के मनुष्यों की भाँति हमारे धर्म और धर्म के वैदिक सिद्धांतो का पालन करने वाले है।

    पृथ्वी रु नाश हेबे तीनि भाग लोका ।
    चतुर्थ भाग रु रहिबति अबशेष ।।

    अर्थात् पूरी मानव आबादी का लगभग तीन भाग या तीन अनुपात पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा और शेष चौथा भाग ही शेष रह जाएगा।

  • ‘मिचौंग’ और मालिका की भविष्यवाणियां

    December 7th, 2023

    बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात ‘मिचौंग’ के कारण पिछले 3-4 दिनों से हो रही लगातार बारिश ने खासकर तमिलनाडु के चेन्नई में तबाही मचा दी है। 3 दिसंबर की सुबह से 6 दिसंबर 2023 तक चेन्नई शहर में लगभग 500 मिमी बारिश हो चुकी है। सन् 2015 में जब ऐतिहासिक ‘चेन्नई जलप्रलय’ ने शहर को डुबो दिया था, तब 330 मिमी ही बारिश हुई थी। अभी शहर में हालात इतने बुरे हैं कि दुकानों से लेकर घरों तक में बारिश का पानी घुस गया है; सड़कें दरिया बन चुकी हैं और उन पर पर गाड़ियां कागज की नाव सदृश बहती नजर आ रही हैं। कई इलाकों में 2-3 दिनों से बिजली गुल है। मार्गशीर्ष महीने में आये इस चक्रवात ने अभी तक कई लोगों की जान लेकर चेन्नई समेत पूरे तमिलनाडु में दर्दनाक निशान छोड़े हैं।

    विस्मय की बात है कि सदियों पहले लिखे गये ‘भविष्य मालिका’ के दो ग्रंथों में इस घटना के बारे में सटीक जानकारी पायी गयी है। महापुरुष अरक्षित दास ने अपने मालिका ग्रंथ ‘महागुप्त पद्मकल्प‘ में आज से लगभग 250 वर्ष पहले ही लिख दिया- 👇

    आहुरि गुपत कथाटि मन देइ शुण,
    समुद्ररु लहरि जे उठिबटि जाण,
    कांची राज्य गोटे बाबु छारखार हेब,
    बिंश तिनि अंके ए कथा बिचार।

    अर्थात, यह गुप्त बात ध्यान से सुनो: समुद्र से लहरें उठेंगी जो कांची राज्य (यानी वर्तमान तमिलनाडु) में भीषण कहर बरपाएंगी। यह घटना ‘बिंश तिनि अंके’ यानी, सन् 2023 में घटेगी।

    महापुरुष अच्युतानंद दास ने भी अपने मालिका ग्रंथ ‘चकड़ा मड़ाण’ में लिखा- 👇

    घोर कलिकाल होइब प्रबल दया धर्म न रहिब,
    मार्गशीर्ष मासे घोर बात्या हेब घर द्वार भांगिजिब।

    अर्थात, कलियुग का अंतिम कालखंड बहुत प्रबल होगा जिस दौरान लोगों में दया और धर्म नहीं रहेगा। मार्गशीर्ष (अगहन) के महीने में घोर चक्रवात होंगे जिनसे घर-द्वार क्षतिग्रस्त हो जाएंगे।

  • वैज्ञानिक यंत्र सब बंद हो जाएँगे

    December 6th, 2023

    निकट भविष्य में एक ऐसा समय आएगा जब सभी वैज्ञानिक यंत्र जैसे मोबाइल, कम्प्यूटर, इत्यादि काम करना बंद कर देंगे।

    लेखा जंत्र माणो उलटी पडीब पढ़ा जानी हेबे बणा,
    मंगमंगुवाल बोलो ना मानिबे ज्ञान कही अक़लना ।
    अउ बेसी दिन नाही लोबउल निकट होईब देखा,
    पंचसखा माने कही जाईछनती पुराणे होईछि लेखा ।।

    अर्थात् 8 को 3 से गुणा करेंगे तो 24 आता है। उस अंक में चीन के सैनिक भारत पर हमला करेंगे और सभी सैनिक आपस में युद्ध करेंगे। जब ये घटना होगी उसी समय संसार के बड़े से बड़े वैज्ञानिक यंत्र अचल हो जाएँगे और उस वक़्त संसार के बड़े से बड़े वैज्ञानिको की बुद्धि काम नहीं करेगी, वो बेतुके बात करने लगेंगे, वो बातें तो बहुत करेंगे पर कोई कुछ कर नहीं पाएगा। जिन देशों को खुद पर तकनीकी उन्नति के कारण गर्व और अहंकार है, वो अमेरिका हो या इंग्लेंड या फिर चीन या कोई भी बड़े से बड़ा देश उन सभी का अहंकार चकनाचूर हो जाएगा और वो समझ नहीं पाएँगे कि क्या करें। उन्हें किसी भी प्रकार से सुरक्षा नहीं मिल पाएगी।

    वैज्ञानिक यंत्र अचल होईबे हरी चक्र घुरु थिबो ।
    कल कारख़ाना शून्य भांगी गुप्ते क़ेही न जाणिबो ।।

    अर्थात् वैज्ञानिक यंत्र काम नहीं करेंगे। हरि चक्र घुम रहा होगा, कल कारख़ाने गुप्त रूप से नष्ट हो जाएँगे अर्थात् कारख़ानो में आग लगने का कारण पता नहीं चलेगा।

    निकट रे गोड़ चहड, वैज्ञानिक यंत्र अचल ।
    अनंत जुग टी होईब, अच्युत कामना पुरिब ।।

    जल्द ही युद्ध लगेगा, वैज्ञानिक यंत्र अचल हो जाएँगे ।
    और अनंत युग के स्वामी अच्युतानंद दास जी का सपना पूरा होगा।

    चौबीस रुं लेखा यंत्र उलटी पडिबो,
    कंप्यूटरों मोबाइलों कामों न जे देबो,
    कोलो कारोखाना सबू भांगी ण जे जीबो,
    स्कूलों कोलेजो कोषागारों बंदो होई जीबो ।

    अर्थात् 24 अंक से कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक उपकरण सब बंद पड़ जाएँगे। मोबाइल कुछ काम नहीं आएगा। 600 साल पूर्व पंचसखाओ ने कम्प्यूटर, मोबाइल, स्कूल, कोलेजो और बैंक के बारे में बता दिया था। वाहन, कारख़ाने सब टूट पड़ेंगे यानी काम नहीं कर पाएँगे। स्कूल, कोलेज और बैंक आदि सब बंद हो जाएँगे।

  • लंज़ा नक्षत्र

    December 5th, 2023

    आने वाले निकट भविष्य में एक बहुत ही बड़ा नक्षत्र पृथ्वी में गिरेगा और गिरने से पूर्व वो ३ टुकड़ों में टूट जाएगा। उनमें से एक टुकड़ा बंगाल की खाड़ी में गिरेगा। जिससे महा भयंकर सुनामी आएगा और समुद्र का पानी सैकड़ों किलोमीटर तक ज़मीन के अंदर तक आ जाएगा।

    तीनि दिगी लंज़ा एक बेला रे पडीब ।
    आकाश मंडल धूम्रवर्ण प्रकाशीब ।।

    गिरने से पहले लंज़ा नक्षत्र ३ भाग में टूट जाएगा और तीन दिशा में लंज़ा नक्षत्र एक ही समय में गिरेगा जिससे आकाश में धुवाँ ही धुँवा दिखाई देगा।

    दक्षिणे जल पूर्ण हेब ।
    पश्चिमे मड़क पडीब ।।
    पूरब खंड घासीजिब ।
    उत्तरू लंज़ा जे पडीब ।।

    दक्षिण जल में डूब जाएगा ।
    पश्चिम में मड़क पड़ेगा ।
    पूरब की ज़मीन अपने जगह से हट जाएगी ।
    उत्तर में जब लंज़ा गिरेगा ।।

    सात, सात, छव ठाब रे गुण चहल हेब ।
    दिवस रे लंज़ा पडीब उल्कापात होईब ।।

    दिन के समय ही लंज़ा नक्षत्र गिरेगा। और साथ में उल्कापात भी होगा ।

    पाँचो, तीनो, तेरो अकतरा होईबा, लंज़ा नक्षत्र चिन्दीबा ।
    जानिबु सेई दिनु काली छड़ी जिबा सत्य उदय होईबा ।।

    अर्थात् 5,3,13, एकसाथ होंगे तो लंज़ा नक्षत्र (धूमकेतु) टुकड़ा होके गिरेगा, उसी दिन से कलियुग छूट जाएगा और सत्य उदय होगा।

  • महामारी

    December 5th, 2023

    भविष्य मालिका के अनुसार पूरे विश्व में 64 प्रकार की महामारी आएगी जिसका इलाज किसी के पास भी नहीं होगा। इसकी शुरूवात कोरोना से हो चूक है। भविष्य में कोरोना से भी कई गुणा ख़तरनाक महामारी आएगी।

    अमोनातो व्यादिए कहुँतो आसिबो नर अंगरे प्रकासो ।
    मुखोंरुतों रक्तो उदगारो होईबो सकल होईबे नासों ।।

    आने वाले समय में सभी मनुष्य एक ऐसा समय भी देखेंगे, जब लोगों के मुँह से रक्त की उल्टियाँ होने लगेगी। उस दौरान बहुत से लोग जिन्होंने पाप किया है ऐसे पापी लोगों की मृत्यु होगी।

    आद्य वैद्य ठारे प्रकाश होईबो अरे अन्य हेबे नास बैद्य नास जेबें होईबो बारंगो अउके होईब धँसो।

    उपचार करने वालों के ऊपर सर्वप्रथम इसके असर दिखाई देंगे। तत्पश्चात् धीरे धीरे समस्त मनुष्य समाज में इसके लक्षण दिखने लगेंगे व सभी पापियों का विनाश होगा।

  • उल्का पात

    December 4th, 2023

    23 जाई 24 आगत पृथ्वी होईबे उल्कपात।

    अर्थात् 23 अंक जाएगा और 24 अंक आएगा तभी पृथ्वी पे उल्कापात होगा ।

    23 जाई 24 आगत महाभयंकर उल्कपात पडीब ।
    जाईंन प्रूबे भाग रे पसिब सागर गर्भ ग्रह रे ।।

    यानी कि जब २३ अंक जा रहा होगा और २४ अंक आ रहा होगा तब भयंकर उल्कपात होगा। यह उल्कपात पूरब भाग में होगा अर्थात् बंगाल की खाड़ी में होगा। और इसी कारण सागर का पानी श्री जगन्नाथ मंदिर के गर्भ ग्रह तक आ जाएगा।

  • मनुष्य माया में दुबे रहेंगे

    December 3rd, 2023

    गुप्त प्रगत कोहित नोहि अचंभित लागे बानी,
    चेतुआ भगत कहकु बेलोसु अच्छन्नती जानी।

    अर्थात् मालिका की गोपनीय जानकारी को सुनने या जानने के बाद भी हर किसी के लिए पहचानना या समझना संभव नहीं होगा।

    माया अंधकारे गुडी रहिथिबे आख़िथाई सीजेकण ।

    मनुष्य माया में दुबे रहेंगे, उन्हें प्रत्येक वर्ष विभिन्न तरीक़ों से चेतावनी मिलती रहेगी, पर मनुष्य समाज के गर्व, अहंकार, छमता, अर्थ, सुख, शांति व दम्भ के चक्रव्यूह में फँसे होने के कारण भविष्य मालिका की वाणी उनके कानो तक नहीं पहुँचेगी।

  • भविष्य मालिका ग्रंथ को सभी नहीं समझेंगे

    December 2nd, 2023

    भविष्य मालिका ग्रंथ को सभी नहीं समझेंगे, कुछ तो मज़ाक़ भी उड़ाएँगे। इसलिए मूर्खों से बहस नहीं करे। यह बात पंचसखा भी पहले से जानते थे। इस पर उन्होंने कुछ ऐसा लिखा है।

    श्री चरणो थुईं बारे सत्य एबे करो ।
    केबे न कहिबो मूर्खों जानो रो पाखोरो ।।

    अर्थात्-

    श्री चरणो को छू कर शपत करो कि मूर्खों के आगे ये बात मत कहना क्यूँकि

    कड़ी युगों लोकों बड़ों आंटुआ ।
    कहिबे ए सबू गंजई खिया ।।

    कलियुग के लोग बड़े ज़िद्दी है कहेंगे ये सब गाँजा पीकर लिखे है।

  • भविष्य मालिका: भक्ति और भविष्यवाणियों का ग्रंथ

    December 2nd, 2023

    भविष्य मालिका बंगाल में प्रसिद्ध वैष्णव भक्त चैतन्य महाप्रभु के समय में लिखी गई थी। इस ग्रंथ के लेखक, भक्त अच्युतानंद, चैतन्य महाप्रभु के मित्र थे और उनके भविष्यवाणियों को भविष्य मालिका के माध्यम से लिखा गया था। भक्त अच्युतानंद के अनुसार, जो वर्तमान में हो रहा हैं, उसकी जानकारी छह सौ वर्ष पहले दी गई थी।

    भगवान बलराम गरुड़ को कलियुग के भविष्य के बारे में बताते हैं, कहते हैं, “हे गरुड़, जब कलियुग का अंत होगा, तो हर जगह युद्ध होगा और दिन को अंधकार ढ़क लेगा। उस समय, दुनिया में एक महाप्रलय होगा। उस समय, राक्षस स्वभाव के लोग धनी हो जाएंगे और दकैत दुनिया में स्वतंत्रता से घूमेंगे।”

    भविष्य मालिका भक्तों में आने वाले समय को लेकर उनमें चेतना जागृत करेगा और प्रभु के आने का उन्हें पूर्व से सूचित करेगा। मालिका सभी के लिए नहीं है, यह सिर्फ़ भक्तों तक ही पहुँचेगी और भक्त ही इसे पढ़ पाएगा। किसी अन्य व्यक्ति जो इसके बारे में सुन भी लेगा या पढ़ भी लेगा तो वह इस ग्रंथ को मिथ्या मान कर इसका अंदर कर देगा, पर मेरा भक्त इसे एक बार पढ़कर ही समझ जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए सुधर्मा महा महा संघ से सम्पर्क करें

ईमेल : info@kalkiavatara.com