“ख्यजिबे कष्टथिबा जार घट वृद्ध अंगु जुबाहेबे
कहे भीमबोहि तामर अज्ञानी एकाख्यर माने भज।”
अर्थात –
जाजपुर की वो पवित्र भूमि जहाँ आदि माता बिरजा मूर्ति रूप में प्रत्यक्ष विद्यमान है। उस पवित्र स्थान में जब भगवान कल्कि के नेतृत्व में “सुधर्मा सभा” बैठेगा, उस वक्त जगतपति, भक्तवत्सल, दीनबन्धु भगवान! कल्कि के आह्वाहन पर बैकुंठ से चंद समय के लिए छीरसागर का धरावतरण होगा।
उस छीर सागर में महादेवियों के नेतृत्व में अर्थात जो पवित्र भक्त होंगे जिन्हें सुधर्मा सभा में भवभयहारी भगवान! मधुसूदन के साथ बैठने का अवसर मिलेगा उन सभी भक्तों को स्नान के लिए भेजा जाएगा। उस पवित्र जल में स्नान करने वाले सभी भक्त कलियुग के प्रभाव से जिनको बृद्धावस्था नें घेर लिया है या जिनमें किसी भी प्रकार की कोई रोगव्याधि है, या जिनमें कोई शारीरिक अक्षमता है वो सभी पवित्र भक्त उस छीरसागर के दिव्य जल में डुबकी लगाकर नवयौवन को प्राप्त करेंगे। एवं वो सभी भक्त अर्थात वो सभी देवी देवता जो मानव शरीर में हैं उन सभी को इस कलियुग के प्रभाव से जिण-छिण शरीर से मुक्ति मिलेगी, और सभी दिव्य शरीर को प्राप्त करेंगे।