महापुरुष एकबार फिर लिखते हैं…
“भक्त कलानिधि जेबे कला देबे बांटी कलीरे कलमुस सेठु जिबे परा टूटी।”
अर्थात –
अनन्त कोटि ब्रह्मांड के नाथ महाविष्णु महाकल्कि उसी सभा में अपनी वैष्णव कला (वैष्णव शक्ति अंश) प्रदान करेंगे, उस कला की प्राप्ति के पश्चात भक्तजन कलियुग में बिताए सारे कष्ट और सारी यादों को भूल जायेंगे।
फिर सत्ययुग की शुरुआत होगी रामराज्य होगा सभी भगवान कल्कि के शासन में परमानंद में समय व्यतीत करेंगे, हर तरफ खुशियाँ होंगी ऐश्वर्य होगा, कहीं दूर-दूर तक दुःख व दरिद्रता नही होगी, बहुत जल्द ऐसे अद्भुत समय की शुरुआत होगी, जो पवित्र भक्त होंगे वो सभी इस दिव्य परिवर्तन को स्वयं देख पाएंगे।