“जाजनग्र ग्राम बिरजा स्थान
खेलिबे प्रभु देब भगबान
कुशस्थली जे द्वारिका भुबन
अमरावती जाजनग्र नाम”
अनुवाद:-
जाजनग्र ग्राम, माँ बिरजा जहाँ बिराजमान है वही स्थान पर देवों के देव महाविष्णु भगवान लीला करेंगे कुशस्थली द्वारिका भुवन अमरावती जाजनग्र का ही नाम है ।
अर्थ:-
जाजपुर ग्राम, जो की सम्बल ग्राम के नाम से सम्बोधित अनेकों पदों में किया गया है । बिरजा स्थान , जहाँ माता बिरजा देवी पूजित है और बिराजमान है । उसी स्थान पर भगवान कल्कि लीला करेंगे । देव देव महादेव, महाविष्णु वही जगह पर अपना लीला प्रकट करेंगे।
द्वारिका भुवन को कुशस्थली द्वारिका बोला जाता है। अमरावती जिस जगह को बोलते हैं , जहाँ मृत्यु लोक नहीं हैं, जहाँ देवताओं का निवास है , जहाँ स्वर्ग है , जहाँ अर्काशिला है , जहाँ अष्टगिरी है, जहाँ हटेश्वर हैं , जहाँ पाताल वैकुण्ठ है , वही स्थान को अमरावती के नाम से, अमर लोगों के निवास स्थान के हिसाब से शिशु अनंत ने वर्णन किया।