महापुरुष अच्युतानंद जी फिर से इस प्रकार से लिखते हैं…
“श्रीअच्युत वाणी पत्थरर गार पर्वते फूटिब कईं,
पूर्ब सूर्जवा पश्चिम कुजिबे मवचन सत्य एहिं।”
अर्थात –
महापुरुष पूर्ण दृढ़ता के साथ प्रतिपादन कर यह लिख रहे हैं की मालिका के हर एक शब्द भगवान विष्णु निराकार की वाणी है, यह अटल सत्य है। पूर्व से उदय होने वाला सूर्य पश्चिम से उदय हो सकता है, पर मालिका में लिखे एक भी शब्द मिथ्या नही होंगे