लंज़ा नक्षत्र

आने वाले निकट भविष्य में एक बहुत ही बड़ा नक्षत्र पृथ्वी में गिरेगा और गिरने से पूर्व वो ३ टुकड़ों में टूट जाएगा। उनमें से एक टुकड़ा बंगाल की खाड़ी में गिरेगा। जिससे महा भयंकर सुनामी आएगा और समुद्र का पानी सैकड़ों किलोमीटर तक ज़मीन के अंदर तक आ जाएगा।

तीनि दिगी लंज़ा एक बेला रे पडीब ।
आकाश मंडल धूम्रवर्ण प्रकाशीब ।।

गिरने से पहले लंज़ा नक्षत्र ३ भाग में टूट जाएगा और तीन दिशा में लंज़ा नक्षत्र एक ही समय में गिरेगा जिससे आकाश में धुवाँ ही धुँवा दिखाई देगा।

दक्षिणे जल पूर्ण हेब ।
पश्चिमे मड़क पडीब ।।
पूरब खंड घासीजिब ।
उत्तरू लंज़ा जे पडीब ।।

दक्षिण जल में डूब जाएगा ।
पश्चिम में मड़क पड़ेगा ।
पूरब की ज़मीन अपने जगह से हट जाएगी ।
उत्तर में जब लंज़ा गिरेगा ।।

सात, सात, छव ठाब रे गुण चहल हेब ।
दिवस रे लंज़ा पडीब उल्कापात होईब ।।

दिन के समय ही लंज़ा नक्षत्र गिरेगा। और साथ में उल्कापात भी होगा ।

पाँचो, तीनो, तेरो अकतरा होईबा, लंज़ा नक्षत्र चिन्दीबा ।
जानिबु सेई दिनु काली छड़ी जिबा सत्य उदय होईबा ।।

अर्थात् 5,3,13, एकसाथ होंगे तो लंज़ा नक्षत्र (धूमकेतु) टुकड़ा होके गिरेगा, उसी दिन से कलियुग छूट जाएगा और सत्य उदय होगा।