प्रभु का जन्म स्थान और माँ बिरजा का क्षेत्र

“जनम होइछन्ति प्रभु सत्यबतीपुरे जगी बसिछन्ति सिद्ध पीठ र उपरे जाजपुर हे ।जगीछन्ति अक्रूर सेठारे हे ।”

अनुवाद:-

भगवान ने सत्यबतीपुर में जन्म लिया है वह पवित्र स्थान जाजपुर है । उस जगह पर अक्रूर जी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ।

अर्थ:

‘सत्यवती’ का अर्थ है जोगमाया या माँ बिरजा क्षेत्र जहां भगवान कल्कि का जन्म हुआ है । महापुरुष अच्युतानंद यहाँ लिखे हैं की प्रभु जनम हुएं हैं ‘सत्यबतीपुरे’ यानि वह जगह जहाँ माँ बिरजा देवी बिद्यमान हैं और सिद्ध पीठ के रूप में उस जगह को सम्बोधित किया है । उसी जगह पर प्रभु जनम हुएं हैं । अक्रूर भगवान के अन्यतम भक्तों में से एक थे और उनका जन्म भी जाजपुर में हुआ होगा । द्वापर युग में, अक्रूर ,प्रभु के सारथी बनकर उन्हें मथुरा लाये थे।