महापुरुष चक्रामड़ाड़ मालिका में इस प्रकार से पुनः लिखते हैं…
“मला-मला डाक सात थर हेब, थोके जिबे रेणु होई ज्ञानीजन माने,
घबरा होईबे अज्ञानी थिबे ताकाहिं लीला उदय हेबो,
भक्तंक लीला भारी होई लीला उदय हेबो।”
अर्थात –
मरा-मरा शब्द सुन-सुनकर लोग थक जाएंगे ज्ञानी लोग घबराएंगे, सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष एक बार अर्थात सात वर्षों में कुल सात बार मरा-मरा शब्द गूंजेगा बहुत से लोगों की मृत्यु होगी,जो झूठे साधु संत है जो धर्म का व्यवसाय करते हैं वो लोग भयभीत हो जाएंगे, उन्हें समझ नही आएगा यह क्या हो रहा है।
केवल सच्चे भक्तों को इसका ज्ञात होगा कि विश्व में जो भी हो रहा है वो केवल प्रभु की लीला है, धर्म संस्थापना का हिस्सा है।