एक ब्राह्मण का शासन विश्व में कई परिवर्तन लाएगा

तेर दिन पक्ष होईंबे जेबें,
कलंकीर लीला लागिब तेबे।
क्षेत्ररे होईब ब्राह्मण राजा,
फ़ेरिब कीछी ताहार तरीजा।
कीछी दिन भोग क़रीब मही,
तेरदिन सेहि छत्र उड़ाई।।

क्षेत्ररे होइले जेबें ब्राह्मण जे राजा,
तांक समयरे किछी होइला तरिजा।
तेरिदन छत्र सेिह उड़ेइण देले,
तापरे पांच बरष मही भोग कले।
से अटन्ती अटल बिहार बाजपेयी,
दिल्ली राज सिंहासने बसिलेक तिहं।
प्रथमे तेरिदन प्रधान मंत्री हेले,
तापरे पांचबरष शासन करिले।
अच्युत बचन अटे पथरर गार,
आन करिबाकु नाहि शकित काहार।।

महापुरूष अच्युतानंद दास ने अपने मालिका ग्रंथ ‘कलिकल्प गीता’ और ‘अच्युत ठार’ में आज से 600 साल पहले ही आजाद भारत के एक महत्वपूर्ण राजनेता के बारे में लिख दिया था। वे लिखते है कि भारत में जब एक ब्राह्मण का शासन आएगा तब विश्व में कई परिवर्तन दिखने लगेंग । सर्वप्रथम वे 13 दिनों के लिए शासन करेंगे और इस अल्प अवधि में ही वे बहुत नाम कमायेंगे। तदनंतर, वे पाँच सालों के लिए भी सत्तासीन होंगे। महापुरुष ने लिखा कि दिल्ली से राज करने वाले इस व्यक्ति का नाम “अटल बिहारी वाजपेयी” होगा। वे आगे कहते है कि मेरी यह वाणी पत्थर की लकीर है जो अवश्यंभावी है।

हम सभी भलीभाँति जानते है कि ब्राह्मण जाति से आने वाली स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सर्वप्रतम् 16 मई 1999 से 2004 तक पूरे पाँच वर्ष वे देश के प्रधान मंत्री रहे।

इस तरह सदियों पूर्व लिखी महापुरुष की वाणी पूर्णतः सत्य साबित हुई।