संत अच्युतानंद दास भविष्य मालिका में आने वाले समय के बारे में कई प्रमाण और तथ्य लिख के तो गए ही है पर उन पर प्रभु जगन्नाथ की अपार कृपा थी जिस के कारण वे भूत भविष्य और वर्तमान सभी काल में अपनी दिव्य दृष्टि से देख सकते थे। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण तथ्य पंच सखाओं ने शुद्ध मांस के बारे में लिखा है।
संत अच्युतानंद दास जी कहते है कि मांस मदिरा जैसी तामसिक चीजों का सेवन करना तुरंत छोड़ दें। अगर आप ख़ूब पूजा करते है और अभक्ष्य पदार्थों जैसे मांस मदिरा का सेवन करते है तो सतर्क हो जाइए। इस बारे में उन्होंने लिखा है
हर चण्डी नर चण्डी दक्षिण चण्डी ज़ाणो ।
उग्र चण्डी कटक चण्डी अष्ट चण्डी जे प्रमाणो ।।
एमाने बहुतो दिनो छंति उपोवासो ।
खाइबे बोली कलि रे शुद्धों नोरो मांसो ।।
नोरो मांसो देबे बोली तांकू नरायणो ।
द्वापर युगों रुं साखी रखी छंति प्रमाणो ।।
अष्ट चण्डी प्रमाण है एक वचन का, कौन से वचन का आगे संत अच्युतानंद जी लिखते है। ये अष्ट चण्डियाँ बहुत दिनो से उपवास में है और इस आशा से द्वापर युग से प्रतीक्षा कर रही है कि कलियुग में इन्हें शुद्ध मानव मांस खाने को मिलेगा। अर्थात् शुद्ध नर मांस अष्ट चण्डियों को देने के लिए स्वयं नारायण (श्री कृष्ण) ने द्वापर युग से इन चण्डियों को धरती पर संहार करने के लिए स्थापित करके रखा है।
थूके मद भक्ष्य करिण से मुख्य नागांतो पथरे थिबे छटको नाटकों करिण उच्चाटो अकर्म करी क़रीबे सुद्ध सोणित मांसोटे ताहांकर कारणो लोभिबे नाही तुंभे महामाई आसा रखीथिब तेतिकि बेलु क़ुचाहिं।
जो वैष्णव भक्त धर्म में रहकर नीति धारा का अवलम्बन करेंगे। इसके साथ ही मांस का भक्षण भी करेंगे वो सभी भक्त कलियुग के अंत में तुम्हारे लिए शुद्ध और पवित्र मांस होंगे। वो सतयुग को भी नहीं जाएँगे। उन्ही लोगों को तुम संहार करोगी और इस तरह द्वापर युग की तुम्हारी इच्छा पूर्ण होगी।
मंत्र जंत्र बुझी नवधा भक्ति है जिसे करुण थिबे माछ माँसों सूखुआ पख़ाल खाई द्वादस चिता काटिबे।
मालिका की ये सभी पंक्तियाँ वैष्णव धर्म के सभी भक्तों के लिए नहीं है। बल्कि केवल उन भक्तों के लिए है जो वैष्णव धर्म में रहते हुए मंत्र यंत्र, पूजा विधि व नवधा भक्ति में भी रहेंगे, चंदन तिलक लगाएँगे और साथ ही साथ मछली, मांस, मदिरा और अंडे का सेवन करेंगे। हर तरह के अभक्ष्य खाएँगे और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति भी करेंगे।